Sharmila Owsal Millet Food Business: आपको बता दे की शर्मिला ओसवाल श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा मन की बात में सम्मानित किया गया है, शर्मिला ओसवाल Gudmom by 1organic Millet food ब्रांड की फाउंडर हैं उन्हें millet food यानी बाजरा को प्रसारित और इसकी खेती को आगे बढ़ाने के लिए कई award से सम्मानित भी किया गया है।
शर्मिला ओसवाल को millet woman के नाम से भी जाना जाता है आपको बता दे की शर्मिला ओसवाल 2 दशकों से millet यानी बाजरा की कृषि के क्षेत्र में काम कर रही हैं शर्मिला ओसवाल जैविक कृषि और बाजार के प्रचार के लिए उत्साही वकील हैं।
Millet food क्या है millet कितने प्रकार के होते है – Sharmila Owsal Millet Food Business
Sharmila Owsal Millet Food Business – Millet को हिंदी में ” बाजरा ” कहा जाता है, मिले को पुराने समय से ही एक खाद्य पदार्थ माना जाता है और पुराने समय में इसकी लोक खेती भी किया करते थे क्योंकि उसे समय इसकी ज्यादा मांग थी लोग इसकी रोटी बनाकर खाया करते थे, आपने सुना होगा कि राजस्थान या महाराष्ट्र में बाजरे और मक्के की रोटी बनाई जाती है और यह ज़्यादातर हमारे दादा दादी खाया करते थे आपने यह सब आज के युवाओं से सुना होगा।
मिले की कई प्रजातियां है जैसे फिंगर बाजरा,ज्वार बाजरा, पर्ल बाजार, छोटा बाजार, रागी, अमरनाथ बाजार आदि इसकी कुछ माइनर प्रजातियां भी है जैसे कंगनी, सामा, उत्की, चेना आदि इन प्रजातियों में सबसे अधिक न्यूट्रिशन पोषक तत्व पाए जाते हैं जो भी बाजरा को बचपन से खा रहा है उसको किसी भी प्रकार की बीमारी आसानी से नहीं लग सकती है आपने कोविड-19 के समय में देखा होगा कितनी बीमारियां फैली थी परंतु जो लोग पुराने समय से बाजार खा रहे थे उनको किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं हुई (Sharmila Owsal Millet Food Business)।
Millet food बाजरा की खेती कैसे कम होने लगी
Sharmila Owsal Millet Food Business – बाजरा की खेती पुराने समय में बहुत अधिक हुआ करती थी क्योंकि उस समय में बाजरे की मांग ज्यादा थी उस समय में लोग बाजरे की रोटी और बाजरे से बने हुए अलग-अलग तरह के व्यंजन खाया करते थे परंतु समय के अनुसार लोगों का बाजरे के तरफ नजरिया बदलने लगा यह उस समय से हुआ (Sharmila Owsal Millet Food Business)।
जब 1960 में हरित क्रांति आई और गेहूं की उपज पर किसानों ने ज्यादा ध्यान देने शुरू किया गेहूं की उपज होने से लोग गेहूं पर ज्यादा निर्भर हो गए और आज तक गेहूं की और चावल की खेती ज्यादा हो रही है और बाजरे की खेती कम होने लगी
सभी लोगों का गेहूं और चावल की तरफ ध्यान आने लगा, आज के समय में भी आप आज युवाओं से सुनते होंगे की बाजरे की रोटी तो हमारे दादा-दादी खाया करते थे, और आज के समय में युवा बाजरे को बहुत कम पसंद करते हैं इस वजह से इसकी मांग भी कम होने लगी जिसकी वजह से किसानों ने इसकी खेती कम करनी शुरू कर दी (Sharmila Owsal Millet Food Business) ।
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Sharmila owsal ने Millet की खेती को climate friendly बताया
Sharmila Owsal Millet Food Business – शर्मिला ओसवाल ने बताया कि millet की खेती वातावरण अनुकूल है इसे कम पानी वाली जगह पर भी सही तरीके से उगाया जा सकता है, अपने है तो सुना होगा राजस्थान में बाजार की रोटी ज्यादा खाई जाती है इसका मतलब यह भी है कि बाजरे में राजस्थान में बाजार की खेती भी ज्यादा की जाती है राजस्थान में कम पानी होने की स्थिति में भी यहां पर बाजार अच्छी तरीके से और ज्यादा मात्रा में उगाया जाता है।
शर्मिला ओसवाल ने बताया कि 1 किलो चावल उगाने के लिए 4000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है परंतु बाजार उगाने के लिए हमें इतने पानी की आवश्यकता नहीं है बाजार की खेती में सिर्फ एक बार पानी देने की आवश्यकता होती है (Sharmila Owsal Millet Food Business)।
कैसे Sharmila owsal ने Millet food की खेती को बचाया
Sharmila Owsal Millet Food Business – शर्मिला ओसवाल ने बताया कि अगर आज के युवाओं को आप बाजरे की रोटी खाने के लिए दोगे तो वह इसके लिए मना कर देंगे और बोलेंगे की है तो हमारे दादा-दादी ही खाया करते थे, परंतु इन्होंने इसका एक नया नुस्खा निकाला उन्होंने बाजरे का पोहा, बाजरे का पिज्जा, बाजरे के चिप्स, बाजरे के चावल, बाजरे के पॉपकॉर्न आदि बनाना शुरू किया।
FAQ
Millet food क्या है millet कितने प्रकार के होते है ?
Millet को हिंदी में ” बाजरा ” कहा जाता है, मिले को पुराने समय से ही एक खाद्य पदार्थ माना जाता है और पुराने समय में इसकी लोक खेती भी किया करते थे क्योंकि उसे समय इसकी ज्यादा मांग थी लोग इसकी रोटी बनाकर खाया करते थे, आपने सुना होगा कि राजस्थान या महाराष्ट्र में बाजरे और मक्के की रोटी बनाई जाती है और यह ज़्यादातर हमारे दादा दादी खाया करते थे आपने यह सब आज के युवाओं से सुना होगा।
Millet food बाजरा की खेती कैसे कम होने लगी ?
बाजरा की खेती पुराने समय में बहुत अधिक हुआ करती थी क्योंकि उस समय में बाजरे की मांग ज्यादा थी उस समय में लोग बाजरे की रोटी और बाजरे से बने हुए अलग-अलग तरह के व्यंजन खाया करते थे परंतु समय के अनुसार लोगों का बाजरे के तरफ नजरिया बदलने लगा यह उस समय से हुआ।
Sharmila owsal ने Millet की खेती को climate friendly बताया कैसे ?
शर्मिला ओसवाल ने बताया कि millet की खेती वातावरण अनुकूल है इसे कम पानी वाली जगह पर भी सही तरीके से उगाया जा सकता है, अपने है तो सुना होगा राजस्थान में बाजार की रोटी ज्यादा खाई जाती है इसका मतलब यह भी है कि बाजरे में राजस्थान में बाजार की खेती भी ज्यादा की जाती है राजस्थान में कम पानी होने की स्थिति में भी यहां पर बाजार अच्छी तरीके से और ज्यादा मात्रा में उगाया जाता है।